Tuesday, November 18

ای گل

فریـاد ز بــی مهریت ای گل که درین باغ
‌ ‌ ‌ ‌ ‌ ‌ ‌ ‌ ‌ ‌ ‌ ‌ ‌ ‌ ‌ ‌ ‌ ‌ ‌ ‌ ‌ ‌ ‌ ‌ چـون غـنـچه پائـیــــز شکـفـتـن نتـوانـم.

ای چشم ِ سخن گوی، تو بشنو ز نگاهم
‌ ‌ ‌ ‌ ‌ ‌ ‌ ‌ ‌ ‌ ‌ ‌ ‌ ‌ ‌ ‌ ‌ ‌ ‌ ‌ ‌ ‌ ‌ ‌ دارم سـخنی بــا تو و گـفـــتـن نــتــوانـم

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